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Showing posts from January, 2016

   समय की मांग

                  समय की मांग    नए इस साल का कहना है कि,तुम हर मत जाना  पुराने साल की सौगात है ,तुम जीतकर आना  करो मेहनत बनो काबिल, जुटा दो ताकतें अपनी  तुम खुद तकदीर की अपनी, लकीरें खींचकर आना  महज कुछ कागजों में जिंदगी कैसे समेटूँ  मैं ? रखें सब याद ऐसा ही, कोई तुम काम कर जाना मिला छत पर समय कल शाम,मुझसे प्रश्न कर बैठा  अगर मैं एक ही जब हूँ ,तो क्यों दो रूप में जाना  बहुत सोंचा अकेले बैठकर इस पर बड़ा मैंने  विरोधाभास के चलते मगर कुछ ख़ास न जाना  सरलतम शब्द में अपने समय,मुझसे तभी बोला  पुराने और नए सालों में मत मकसद बदल जाना  नए इस साल में तब्दीलियां बस कुछ नई कर लो  उसी मकसद को पाने, तुम सतत बढ़ते चले जाना समय की मांग है,कल थी,रहेगी हर घड़ी-हर पल  समय की बात का लोहा, समूचे विश्व ने माना कोई मंजिल मिले या फिर कोई वीरान घर आए  हमेशा की तरह तुम राह में, बढ़ते चले जाना  ...  (नितिन प्रताप सिंह) एक साल और वेवफा हो ग...